आदरणीय प्रियंकर पालीवाल के आदेश पर 09 अगस्त 2014 को एक बहु भाषी कवि गोष्ठी में भाग लेना है। अनुभव आकर बताऊँगा..
हाँ, कवि गोष्ठी हई। कवि गोष्ठी क्या है, यह शरीफों के साथ बैठने का सलीका है। सो बैठ आये...
हाँ, कवि गोष्ठी हई। कवि गोष्ठी क्या है, यह शरीफों के साथ बैठने का सलीका है। सो बैठ आये...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
यहाँ मन में उठनेवाली बातें हैं। अनुरोध है कि कृपया, अपने मन की बात कहें और व्यक्तिगत टिप्पणी न करें।
सादर, प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan